सामाजिक

माता-पिता सच्चे मार्गदर्शक हैं

वैश्विक स्तरपर करीब -करीब हर दिन किसी न किसी के नाम पर मनाया जाता है, जिसमें उस मनोनीत क्षेत्र रिश्ते या धर्म का रिश्ता प्रगाढ़य होता है। परंतु मेरा मानना है कि सभी दिवस से सबसे श्रेष्ठ दिन माता पिता दिवस है जिसको सम्मान समर्पण प्रेमभाव के साथ संपूर्ण विश्व में दिनांक 1 जून 2023 को मनाया गया। भारत में तो माता पिता दिवस को ईश्वर अल्लाह का दर्जा प्राप्त है। हर बच्चे के लिए उसके माता-पिता एक देवतुल्य देवदूत हैं जिन्होंने उसे अपनी आज की सफलताओं के शिखर पर पहुंचाया है। इसलिए अनेक शहरों नगरों स्कूलों में माता-पिता के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किए गए और बड़ी संख्या में बच्चे युवक बड़े अपने माता पिता के साथ पहुंचे और बड़े बुजुर्गों माता-पिता की पूजा अर्चना की गई जिससे माता-पिता बुजुर्गों की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने कहा के बच्चों की खुशियों में ही हमारी खुशीयां है। हमारी भारतीय संस्कृति में ही माता-पिता का सम्मान है, इसलिए ही आज हर वक्तव्य में भारतीय संस्कृति सभ्यता से जुड़े रहने का आह्वान किया जाता है। वर्तमान पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से आधुनिक युवा उसके झांसे में आते जा रहे हैं और परिवार टूटते जा रहे हैं जिसे जागृत करने के लिए हमें माता-पिता दिवस, मातृ दिवस, परिवार दिवस जैसे अनेकों दिवसों का आयोजन हर समाज और पंचायत स्तरपर गंभीरता से करना चाहिए। मेरा मानना है कि यह दिवस वार्षिक नहीं बल्कि मासिक साप्ताहिक स्तरपर मनाना चाहिए जिससे आधुनिक युवकों में जागृति आएगी। जिस भव्यता से 1 जून 2023 को माता-पिता दिवस मनाया गया है उसमें भारतीय संस्कृति सभ्यता की गहरीगहराई का आभास हुआ। माता-पिता बुजुर्गों का सम्मान देखकर अनेकों की आंखों में खुशियों के आंसू भर आए। बस! यही भारतीय संस्कृति और सभ्यता वैश्विक स्तरपर प्रसिद्ध है। हर व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे तो कोई हमारी संस्कृति को आहत नहीं कर सकता। सांस्कृतिक मूल्यों का हनन न हो, इसका सभी को ध्यान रखना होगा। माता पिता दिवस पर मनाए गए कार्यक्रम में बुजुर्गो और युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। यह अपने किस्म का एक अनूठा अनुभव था। चूंकि हमने आज माता-पिता दिवस मनाए हैं इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे सुनिए जी ! मम्मी पापा आप अपने बच्चों के लिए ख़ुदा से भी बढ़कर हैं।
हम माता पिता दिवस के महत्व को देखें तो, वैश्विक माता-पिता दिवस बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह बच्चों की परवरिश और समाज को आकार देने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है और सम्मानित करता है। यह परिवारों की भलाई के लिए बढ़ावा देने और वकालत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है और अगली पीढ़ी के पोषण में माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्व पर जोर देता है। यह पालन दुनियां भर में माता-पिता के प्यार, बलिदान और समर्पण पर प्रकाश डालता है, जबकि उनकी जिम्मेदारियों की गहरी समझ और प्रशंसा को बढ़ावा देता है। माता-पिता के वैश्विक दिवस का उद्देश्य परिवारों के लिए जागरूकता, समर्थन और सकारात्मक परिवर्तन पैदा करना है, अंततः व्यक्तियों, समुदायों और बड़े पैमाने पर दुनियां की भलाई और विकास में योगदान देना है। वैश्विक माता-पिता दिवस एक विशेष पालन है जो माता-पिता को अपने बच्चों के जीवन और समग्र रूप से समाज की भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रत्येक वर्ष 1 जून को मनाया जाता है, यह दिन दुनियां भर में माता-पिता के समर्पण, प्रेम और जिम्मेदारी को सम्मानित करने और सराहना करने के अवसर के रूप में कार्य करता है। यह दिन बच्चों के जीवन को आकार देने और उनके समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में माता-पिता के मार्गदर्शन के महत्व पर जोर देता है। यह माता-पिता के प्रयासों की सराहना करने और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अवसर के रूप में कार्य करता है। दुनियाभर में इस दिन को ग्लोबल पेरेंट्स भी कहा जाता है। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि हमें इस दिन उन लोगों को स्पेशल फील कराने का मौका मिलता है जिन्होंने हमें जन्म दिया और पाला। माता-पिता के सम्मान में आयोजित है।
हम माता-पिता की जिम्मेदारियों समर्पण प्रेम भाव को देखें तो, दुनियां में हमारी पहचान हमारे माता-पिता से होती है. वो ही हमें इस संसार में लेकर आते हैं और उन्‍हीं के नाम से हमें पहचान मिलती है। हम चाहे कितने ही बड़े व्‍यक्ति क्‍यों न बन जाएं, जब भी कोई बड़ा दस्‍तावेज हमारे सामने आएगा, उसमें हमको अपने माता-पिता का नाम जरूर बताना पड़ेगा। आज के समय में हम जो कुछ भी हैं, वो अपने माता-पिता के संस्‍कार और उनकी दी हुई परवरिश की बदौलत हैं। माता-पिता अपनी संतान के जीवन को संवारने के लिए अपनी पूरी जिंदगी की खुशियों से समझौता कर लेते हैं। ऐसे माता-पिता को शुक्रिया कहने का दिन है ग्‍लोबल डे ऑफ पैरेंट्स याने माता पिता के इस प्रेम और त्‍याग के लिए हम कभी उन्‍हें शुक्रिया तक नहीं कहते हैं। ग्‍लोबल डे ऑफ पैरेंट्स माता-पिता को शुक्रिया कहने का दिन है और हम बच्‍चों को ये अहसास कराने का दिन है कि हमारे बुजुर्ग माता-पिता बोझ नहीं, हमारी जिम्‍मेदारी हैं। इस जिम्‍मेदारी को हमें फ़र्ज़ समझकर पूरा करना चाहिए। हर वर्ष माता-पिता के वैश्विक दिवस की हर वर्ष थीम रखी जाती है, इस वर्ष यानि 2023 को परिवार जागरूकता’, 2023 थीम निश्चित की गयी थी।
हम माता पिता दिवस मनाने के इतिहास कोd देखें तो, 1980 के दशक के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने परिवार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। 1983 में, आर्थिक और सामाजिक परिषद की सिफारिशों के आधार पर, सामाजिक विकास आयोग ने विकासप्रक्रिया (1983/23) में परिवार की भूमिका पर अपने संकल्प में महासचिव से परिवार की समस्याओं और जरूरतों के साथ-साथ उन जरूरतों को पूरा करने के प्रभावी तरीकों के बारे में निर्णय निर्माताओं और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया।9 दिसंबर 1989 के अपने संकल्प 44/82 में, महासभा ने 1994 को परिवार के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया; और 1993 के संकल्प 47/237 में, महासभा ने निर्णय लिया कि हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाएगा 2012 में, महासभा ने 1 जून को वैश्विक माता-पिता दिवस के रूप में घोषित किया, जिसे दुनियां भर में माता-पिता के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सुनिए जी ! मम्मी पापा आप अपने बच्चों के लिए ख़ुदा से भी बढ़कर हो भारत में विश्व माता पिता दिवस 1 जून 2023 को समर्पण प्रेम सम्मान भाव के साथ मनाया गया।माता-पिता सच्चे देवदूत मार्गदर्शक और अभिभावक हैं, इनसे सर्वश्रेष्ठ दुनियां में कोई नहीं है।
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया