बसे होते ना अगर आप – हमारे दिल की गैहरायिों में
तो दूर रैह कर भी – पास होने का अहसास ना हमें होता
चाहत आप के लिये – अगर ना होती हमारे दिल में
तो इस क़दर कभी भी – दिल हमारा धडका ना होता
वादा बैशक नही किया आप ने – हम से मिलने का कभी भी
मगर दिल हमारे ने इस तराह से – इनतेज़ार ना किया होता
इनतेज़ार आप का अगर हमेशा ही – रैहता ना हमारे दिल को
तो बे क़रार इस तराह से कभी भी – दिल हमारा ना हूआ होता
भूल से भी कभी भी ना हम – भूल पाएं गे आप को
हक़ कियूं नही हमारा – आप की मुहबबत पर हूआ होता
आख़री साँस तक हम – मुहबबत तो करें गे आप ही से
गरिफ़तार आप की मुहबबत में -काश दिल हमारा हुआ होता
माना कि दो किनारे मिल सकते नही – कभी भी आपस में
मगर साथ साथ चलने का – कोई तो इनतेज़ाम किया होता
उमंगे आप से मिलने की – उठती ही रैहती हैं हमारे दिल में
दिल हमारे के सकून के लिये – कोई तो इनतेज़ाम किया होता
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कसक एक अजीब सी उठती है -बे वजाह ही हमारे दिल में ‘मदन’
चुबन एक तीखी सी चुबती – रैहती है हमेशा हमारे दिल में
मिल सकते नही जब हम आप – हमेशा के लिये इस ज़िनदगी में
तो बे चैनी का हमारे दिल की – कोई तो हिसाब किया होता