बाल कविता

सवेरा (बाल कविता)

हुआ सवेरा एक है
मिटा अंधेरा अनेक है,
जीवन की लालिमा छाई
बुराई की कालिमा भगाई,
नन्हें मुन्ने फूलों ने
सुबह ही रौनक लगाई,
पंछियों के चहचहाहट ने
हर बुरी नजर भगाई,
नील गगन में उड़ती
रंग बिरंगी चिड़ियों ने
सबके चेहरे पर
सुबह ही मुस्कुराहट लाई।

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233