गर्भवती महिलाए धार्मिक ग्रंथो को पढ़े
गर्भवतियां रामायण पढ़ेगी तो पैदा होंगे संस्कारी बच्चे खबर पढ़ी |राष्ट्र सेविका समिति द्धारा गर्भ संस्कार का राष्ट्रव्यापी अभियान पहल प्रशंसनीय है | संस्कारयुक्त भावीपीढ़ी के निर्माण के लिए राष्ट्र सेवा समिति गर्भवती महिलाएं रामायण या अपने धर्म के किसी भी ग्रंथ को पढ़कर अपने बच्चे में संस्कार डालने की शुरुआत कर सकती हैं।गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रंथ पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा | साथ ही उन्हें मंत्रोच्चारण और योग करने के लिए प्रेरित भी किया जाने की पहल की है |एक जानकारी के मुताबिक बड़े और बुजुर्गों की माने तो ‘श्रीमद भगवद गीता’ और रामायण आदि ग्रंथो को पढ़ने से गर्भवती महिला का मन शांत रहता है और शिशु में अच्छे गुणों का विकास होता है। इसलिए गर्भावस्था में किताबें पढ़ना चाहते हैं और अगर आप धार्मिक किताबे पढ़ना चाहती हैं तो ‘श्रीमद भगवद गीता’ और रामायण पढ़ने की सलाह दी जाती है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, गर्भवती महिला के कमरे में पति और पत्नी के हंसमुख चित्रों को भी प्रदर्शित करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से बच्चे का अपने माता-पिता के साथ गहरा रिश्ता बना रहता है |उदाहरण स्वरूप अर्जुन पुत्र अभिमन्यु जिसने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की कला सीख ली थी| आज भी बड़े-बुजुर्ग, धर्मगुरु और उपदेशक गर्भवती महिलाओं को भगवत भजन करने और सत्संग सुनने की सलाह देते हैं, ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका असर हो|सनातन धर्म, संस्कृति और परंपरा वाले देश में ऐसी मान्यताएं आम हैं| यह किस्सा भले ही आपको कल्पित लगे लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ऐसा होता जरूर है। बच्चा सबसे पहले अगर किसी की आवाज पहचानता है तो वह उसकी मां ही है।