गीतिका/ग़ज़ल

माहौल

अपने होठों पे, तबस्सुम को, सजाए रखिए।
शब गुज़रने तलक़, अश्कों को छुपाये रखिये।
दौर ए ग़म में नहीं,चलता कोई किसी के लिए,
हौसला  टूटे न,  माहौल  बनाए रखिये।
धूप ख़िल जाएगी, राहों में तबस्सुम से तेरे,
दिल के अंगारों को, अश्कों से बुझाए रखिए,
है सफ़र मुश्किल, राहें भी हैं तारिक़ तनहां,
साथ रहवर की, रोशनी को,  जलाए रखिए।
दो क़दम और मंज़िलें हैं, मुख़्तसर तेरे,
उनके दीदार की, उम्मीद जगाए रख़िये।
— पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है