अवसान होगा
तुम जो कुछ हो आज किसी का योगदान होगा
जमीर रख दी गिरवी पर उसका निशान होगा|
मेहनत तो बेशक जी जान से किए हो तुम
भूल कैसे सकते हो तुम पर जो मेहरबान होगा|
बातों ही बातों में कुछ मांगा था उसने याद कर
टाल गए हंसकर पर याद उसे दास्तान होगा|
मशहूर होने की उसे कभी नहीं थी चाहत
पर देखना एक दिन उसका भी आसमान होगा|
दिल में तेरे बोझ बढ़ जाएगा कुछ इस कदर
सामना करना तुझे खुद से नहीं आसान होगा|
कहां ले जाओगे कहो तुम झूठी सारी शोहरतें
तेरे भी हिस्से में बस वही श्मशान होगा|
सूरज के भी तो हिस्से में देखो शाम आ गई
भला फिर बता तेरा कैसे नहीं अवसान होगा|
— सविता सिंह मीरा