गीतिका/ग़ज़ल

अवसान होगा

तुम जो कुछ हो आज किसी का योगदान होगा
जमीर रख दी गिरवी पर उसका निशान होगा|
मेहनत तो  बेशक जी  जान  से  किए  हो  तुम
भूल कैसे सकते हो तुम पर जो मेहरबान होगा|
बातों ही बातों में कुछ मांगा था उसने याद कर
टाल  गए  हंसकर  पर  याद उसे दास्तान होगा|
मशहूर  होने  की  उसे  कभी  नहीं  थी  चाहत
पर देखना एक दिन उसका भी आसमान होगा|
दिल  में  तेरे  बोझ  बढ़  जाएगा  कुछ इस कदर
सामना  करना  तुझे  खुद  से  नहीं आसान होगा|
कहां  ले  जाओगे  कहो  तुम  झूठी सारी शोहरतें
 तेरे  भी    हिस्से   में  बस   वही   श्मशान   होगा|
सूरज  के  भी  तो  हिस्से  में  देखो  शाम  आ गई
भला  फिर  बता  तेरा  कैसे  नहीं  अवसान   होगा|
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]