बाल कहानीबाल साहित्य

रोजी रोटी

रोजी रोटी

एक मदारी था। बंदर का खेल दिखाने वाला। नाम था उसका- रामा। उसके पास दो बंदर थे। आसपास के गाँवों में मदारी रामा बंदरों का खेल दिखाकर अपनी आजीविका चला रहा था। उसका खेल न केवल छोटे-छोटे बच्चे वरन् बड़े लोग भी चाव से देखते थे।
बंदरिया के लटके-झटके, नखरे, उनकी शादी, रूठना-मनाना, बंदर द्वारा बंदरिया को कम दहेज लाने पर ताना मारना, भरपेट खाना न देना, शराब पीकर मारपीट करना, रूठ कर बंदरिया का मायके चली जाना, प्रताड़नाओं से त्रस्त बंदरिया द्वारा अपने शरीर पर मिट्टी तेल छिड़क कर आत्मदाह कर लेना इत्यादि के दृश्य कभी लोगों को हँसाते, तो कभी रूला देते।
खेल की समाप्ति पर लोग अपनी इच्छानुसार जो भी रुपये-पैसे या अनाज दे देते, उसी से रामा अपना तथा दोनों बंदरों का गुजारा चलाता था। चूँकि रामा के बीबी-बच्चे न थे, इस कारण वह दोनों बंदरों को ही अपना परिवार समझता और उन्हें अपने बच्चों की तरह ही प्यार करता था।
एक दिन रामा अपना खेल दिखाने रामपुर पहुँचा। वह अपना डमरू बजाते हुए आगे-आगे जा रहा था। बच्चों के झुंड उसके पीछे जुड़ते चले जा रहे थे। आखिरकर पुराने बरगद पेड़ के नीचे वह रूक गया और बैठकर कुछ देर डमरू बजाता रहा। जब बहुत सारे बच्चे इकट्ठे हो गए, तो उसने अपना खेल दिखाना प्रारंभ किया। खेल में बच्चों को बहुत मजा आया।
इन दर्शक बच्चों में एक शहरी बच्चा अमर भी था। वह छुट्टियों में अपने दादा-दादी से मिलने गाँव आया हुआ था। उसने कभी बंदर नहीं देखे थे पर पढ़ा और सुना जरूर था कि बंदर बहुत नटखट और फुर्तीले होते हैं, लेकिन रामा मदारी के बंदर तो उसे बहुत कमजोर, सुस्त और बीमार से लगे। उसने रामा से पूछा- ‘‘बाबा, क्या ये असली बंदर हैं ?’’
‘‘हाँ बेटा, ये असली बंदर हैं।’’ रामा ने जवाब दिया।
अमर ने पूछा- ‘‘पर बाबा, मैंने तो सुना और पढ़ा था कि बंदर बहुत चुस्त, फुर्तीले और नटखट होते हैं, पर ये तो एकदम सुस्त और बीमार जान पड़ते हैं।’’
रामा बोला- ‘‘हाँ बेटा, बंदर वाकई बहुत चुस्त, फुर्तीले और नटखट होते हैं, पर ये दोनों बंदर जब बहुत छोटे थे, तभी से मुझ गरीब के साथ हैं और खेल-तमाशा दिखाकर अपना गुजारा कर रहे हैं।’’
‘‘क्या सभी बंदर खेल-तमाशा दिखाकर अपना गुजारा करते हैं ?’’ बड़े भोलेपन से अमर ने पूछा, जिसका कोई संतोषजनक जवाब रामा के पास न था, पर इस सवाल ने उसे गहरी सोच में डाल दिया। उस दिन रामा जल्दी घर आ गया।
‘‘क्या सभी बंदर खेल-तमाशा दिखाकर अपना गुजारा करते हैं ?’’ यही सवाल उसके मस्तिष्क में गूँज रहे थे। उसने सोचा अपने स्वार्थ के खातिर इन बेजुबान जानवरों को बाँधकर रखने और डंडे के जोर पर हुक्म चलाने का उसे कोई हक नहीं है। वह अपनी आजीविका कुछ अन्य काम करके भी चला सकता है।
बहुत सोचने के बाद रामा ने अपने दोनों बंदरों को पास के जंगल में ले जाकर बंधनमुक्त कर दिया।
दोनों बंदर एकटक रामा का मुँह ताकते रहे। तीनों की आँखों में आँसू थे। दोनों बंदर रामा की टाँगों से लिपट गए। रूंधे गले से रामा बोेला- ‘‘जाओ दोस्त, जाओ, अपने लोगों के बीच। अलविदा।’’
रामा घर की ओर लौट पड़ा। रामा को बंदरों से बिछुडने का दुख तो था, पर मन में इस बात की संतुष्टि थी कि बंदरों को उनके असली घर में पहुँचा दिया। वे तब तक रामा को देखते रहे जब तक कि रामा उनकी आँखों से ओझल नहीं हो गया।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888