सोशल मीडिया पर मौत को भी बनाते कमाई का जरिया- मानवता का हनन
वर्तमान में जितना हमारा भारत देश औधोगिक क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र, यातायात परिवहन क्षेत्र आदि अनेक क्षेत्रों मे विकास करते हुए हमारे देश को विकासशील, समृद्ध और आत्म निर्भर बना रहा है ये तो बहुत ही अच्छा हो रहा हम सभी के लिए, परंतु इस दौड़ती, भागती कामयाबी की ओर भागती जिंदगानी के अंतर्गत यदि कुछ कमी हो रही नित प्रतिदिन तो वो कमी है हमारे भीतर की खत्म होती संवेदनाएं। खत्म होते जा रहे जज़्बात, हो रहा नित मानवता का हनन।
आज कल हर कोई इतना मशगूल हो गया है कि उनके समीप भी यदि कोई अनैतिक कृत्य हो रहा तो भी वह नज़र अंदाज़ कर आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही मे मानवता को तार-तार कर देने वाली तस्वीरें जो सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही थी कि किस तरह साहिल नामक युवक ने साक्षी का सरेआम राह पर चाकूओं से गोद कर हत्या कर दी, किस तरह बम्बई क्षेत्र मीरा रोड निवासी मनोज ने अपनी ही प्रेमिका जो बरसों से संग रह रही थी उसके टुकड़े-टुकड़े कर कुकर में पकाया और कुत्तों को भोज स्वरूप परोसा। किस तरह दो दिन पूर्व ही दिल को दहलाने वाली घटना जो कि इंदौर से सुनने मे आई की मात्र शादी के सत्तरह दिन बाद मात्र दहेज के लिए लालचियों ने नई नवेली दुल्हन के अरमानों को चाकूओं से गोद कर विश्वास के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। उस विश्वास के जिसे उसकी मांग में सिंदूर रूप मे उसके ही पति ने भर कर दिया और ये वादा किया सात फेरों के वचनों में की मैं हूं ना। जो विश्वास दिलाया मैं हूं ना उसी मैं हूं ना शब्द को विभत्स कर दिया इतनी बुरी तरीके से की आज कोई भी मां-बाप अपने जिगर के टुकड़े को अपने से दूर कर, किसी ओर को सौंपने से भी कतराएंगे। हर हृदय विदारक घटना में साक्ष्य सिर्फ और सिर्फ मूक दर्शक बन देखते रहे और सोशल मीडिया पर विडियो बना अपलोड कर ये जताते रहे की जैसे उन्होंने बहुत ही सराहनीय कार्य किया हो। अरे सोशल मीडिया पर सिर्फ़ लाईक, कमेंट, फालोवर्स बढ़ाने के चक्कर में आप तो अपने दिल मे बसी मानवता का कत्ल कर बस किसी इंसान की हत्या को देख विडियो बना अपनी कमाई का जरिया बना रहे। आप क्या सोचते की आप इससे पब्लिसिटी पाएंगे। अरे धित्कार है एसे पुरुष वर्ग पर भी जो साक्षी के क़त्ल के समय वहां से गुज़र रहे थे पर कोई साक्षी की मदद् नहीं किया, मर्दानी मर गई थी उस समय उन मर्दों की जो खुद को मर्द बता अपनी शेखियां बिघाड़ते फिरते। अरे वो सिर्फ अपने घर की महिलाओं पर ही मर्दानगी दिखाते बाहर तो बस दिखावे के लिए चतुर गीदड दिखाते खुद को, जब की भीगी बिल्ली होते। और बस रूबाब घर की महिलाओं के ऊपर दिखाते। आज दिन हो रहे हृदय विदारक घटनाएं जो सरेआम भी हो रही इसके लिए जिम्मेदार कौन?वो सभी साक्ष्य जो अपनी आंखों के सामने घटना होने के बावजूद भी हाथों मे चुड़ियां पहने हुए हैं, श्रद्धा, सरस्वती जैसी वारदातों का जिम्मेदार कौन वो पड़ोसी जो घर मे रोज़ हो रही लड़ाईयों को यह कह नज़र अंदाज़ करते की ये तो इनका रोज का काम है। सब जानते हुए भी अगर मानव जाती ही मानव जाती के बचाव मे सामने नहीं आएगी तो फिर तो हमसे भले जानवर अच्छे जो अपने कुटुम्ब के किसी भी जानवर पर यदि कोई दूसरे कुटुम्ब का जानवर हमला करता तो वो टूट पड़ते दूसरे कुटुम्ब के जानवरों पर अपने कुटुम्ब के जानवर को बचाने के लिए। हमसे अच्छा तो एक पालतू जानवर जो कि कुत्ता है जो जानवर होने के बावजूद मानव रूपी अपने मालिक के लिए अपना सर्वोपरि लुटा कर वफ़ादारों निभाता है।
समझिये मेरी कलम की वेदना, भावनाओं, जज़्बात, हृदयाघात की स्याही में डूब कर कुछ लिख समस्त दुनिया को कड़वे हकीकत भरे आईने मे मानवता का एक कालिख लगा चेहरा जो निरंतर दिखा रही है और समझा रही की अगर खुद को मर्द कह कर घरों कि महिलाओं पर रुतबा जमा कर मर्दांगनी दिखाते वही मर्दांगनी बाहर उस समय दिखाइये जब कहीं अनैतिक हो रहा है। जहां कहीं किसी की बहू, बेटी, मां किसी वारदात का शिकार हो रही है। जहां आपको पूर्व अंदेशा हो जाए की यहां कोई भयावह हादसा कभी भी हो सकता है। मत बने रहे मूकदर्शक, नामर्द अपने मानव रूपी जीवन को मानवता की रक्षा के लिए यदि समर्पित भी करना पड़े तो अपने पांव पीछे की ओर नहीं बल्कि आगे की ओर बढ़ाएं। आओ मिल समाज को वारदात मुक्त बनाऐं। अपने मिले मानव जीवन को सार्थक बनाएं। किसी की मौत को तमाशा बना तमाशबीन की तरह देखते हुए उसका सिर्फ विडियो बना कर सोशल मीडिया पर लाईक, कमेंट पाने के लिए कमाई का जरिया नहीं बनाएं। बल्कि बचा लें किसी की बहू, बेटियों को अपनी इंसानियत दिखाते हुए।
— वीना आडवाणी तन्वी