दर्द
वो उर में जख्म करके जाने लगे,
हमने रोका तो मुस्कुराने लगे ।
हमने सुनाई अपनी कहानी,
वो बेदर्द हंसी हंसने लगे ।
हमेशा उनकी जिद के आगे हम ही झुके,
दिखाकर ख्वाब हसीं वो धोखा देने लगे ।
नींद आती नहीं उनकी याद में रातभर
वो हमें फोन पर ही बहलाने लगे ।
अश्क आंखों से बहते रहे,
दिया जो दर्द हम वह सहने लगे ।
हम भीतर ही भीतर टूट गये,
जब से वो प्रचुर सताने लगे ।
मांगते हैं दुआ रब से वो जीते रहें
बेशक वो हमें छोड़ दूर जाने लगे ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा