गीतिका/ग़ज़ल

दर्द

वो उर में जख्म करके जाने लगे,
हमने रोका तो मुस्कुराने लगे ।
हमने सुनाई अपनी कहानी,
वो बेदर्द हंसी हंसने लगे ।
हमेशा उनकी जिद के आगे हम ही झुके,
दिखाकर ख्वाब हसीं वो धोखा देने लगे ।
नींद आती नहीं उनकी याद में रातभर
वो हमें फोन पर ही बहलाने लगे ।
अश्क आंखों से बहते रहे,
दिया जो दर्द हम वह सहने लगे ।
हम भीतर ही भीतर टूट गये,
जब से वो प्रचुर सताने लगे ।
मांगते हैं दुआ रब से वो जीते रहें
बेशक वो हमें छोड़ दूर जाने लगे ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111