महिला पहलवानों के आंदोलन के समर्थन में
ये कैसा शौक है
तुम्हारे समाज का
प्रेम के साथ ही
छलावा करता है
एक क्षण में सारी
दुनिया उजाड़ देता है
कभी दर्द देता है तो
कभी लूट लेता है
न कोई लाज है
न कोई लिहाज
सरे राह यूँ ही
छेड़ देता है
जख्म देता है और
जान भी लेता है
रंग बदलती इस दुनिया में
यूँ ही बेबस छोड़ देता है ..,
यूँ ही बेबस छोड़ देता है ..,
— के एम भाई