एहसास!
हर माता-पिता की तरह सुरेश के माता-पिता भी अपना पेट काटकर उसकी हर ख़्वाहिश पूरी करते. कभी-कभी सुरेश महसूस भी करता, लेकिन ख़्वाहिशें उसके एहसास को ज्यादा देर तक टिकने नहीं देतीं.
समय बीतता गया, सुरेश बड़ा हो गया. उसकी शादी हो गई, बेटा हुआ और बड़ा भी हो गया. ख़्वाहिशें उसकी भी बढ़ती जा रही थीं.
“बेटा तुम्हारे खातिर मैं दिन भर खटता रहता हूं, पर तुम्हारी ख़्वाहिशें हैं कि पूरी होने में ही नहीं आ रहीं!” एक दिन तंग आकर सुरेश ने कहा.
“आपके पापा ने भी बड़ी मुसीबतों में आपको पाला, आपकी हर ख़्वाहिश पूरी करते रहे, क्या कभी उन्होंने भी ऐसा कहा था!” बेटे ने वार-पर-वार किया.
सुरेश निरुत्तर हो गया, पर अब एहसास हमेशा के लिए टिकने आया था.