कविता

जिंदगी एक सफ़र

जिंदगी एक अनिश्चित सफ़र है
क्या होगा अगले पल
कोई नहीं इसकी खबर
सफऱ में मिले जो भी  मुसाफिर
मिलो उससे इस कदर
जो याद रखें
बिछड़ जाने के बाद भी
जब कभी आये जिक्र तुम्हारा
आँखों में हो नमी उसकी
जुबां पर हो
कहानी तुम्हारी

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020