मेहरबानी
पिछले महीने बस से घरघोड़ा जाना हुआ। बस में मेरे बगल की सीट पर एक दिव्यांग वृद्ध बैठे हुए थे। उन्हें अस्पताल जाना था। अस्पताल बस स्टैण्ड से पहले पड़ता है। वृद्ध ने कंडक्टर से विनम्रतापूर्वक निवेदन किया कि उसे अस्पताल के पास उतार दे। कण्डक्टर ने साफ इंकार कर दिया। बेचारे वृद्ध मन मसोसकर रह गए।
कुछ देर बाद सामने की सीट पर बैठी काॅलेज की एक खूबसूरत लड़की ने कण्डक्टर से कहा कि वह घर से अपना पेन लाना भूल गई है, इसलिए बस की थोड़ी देर के लिए पेन कार्नर के पास रोक दे। कण्डक्टर ने उसकी बात सहर्ष मान ली।
बस पेन कार्नर के सामने तब तक रूकी रही जब तक कि वह लड़की पेन खरीदकर वापस नहीं आ गई।
— डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा