योग
तन मन सारा शुद्ध कर, करता हमें निरोग।
सेहत की चाहत अगर, हर दिन करिये योग।
योग शुरू यदि कर दिया,अब करना कम भोग।
योग गुरू का हर घड़ी, लेना तुम सहयोग।
भले आदमी का सदा, करना तुम सहयोग।
उस पर देना थ्यान मत, क्या कहते हैं लोग।
धर्म कर्म का हर घड़ी, रख कर चल सहयोग।
बीत चुके कल का नहीं, कभी मनाना सोग।
इश्क़ नहीं आसान शै, पालो मत ये रोग।
लुत्फ़ मिले थोड़े समय, जीवन भर का सोग।
— हमीद कानपुरी