ग़ज़ल
अनोखा बड़ा यह सफर है |
चले जा रहा तू किधर है ||
छिपी हिम्मतें हैं तुझी में |
रहे तू मगर बेखबर है ||
भला क्या जगत से शिकायत |
बना यह किराये का’ घर है ||
चहुं ओर ही राज होगा |
तुझे ताकता हर शहर है ||
नहीं कुछ मिले भय दिखाए |
बुरा ही पड़े बस असर है ||
सभी चाहतें पूर्ण होंगी |
अरे पास तेरे हुनर है ||
बड़ा खूबसूरत नजारा |
तुझे क्यूँ न आए नजर है ||