वैराग्य
वैराग्य बिना नहीं हो सकती
मन से अगर चाहो करना भक्ति
यह तभी संभव हो सकता है
तज देता है जब कोई आसक्ति
भगवान से जब जुड़ जाते हैं
किसी के दिल के तार
भूल जाता फिर सुख दुख वह
लग जाता भवसागर के पार
वैराग्य किसी को जब लग जाता है
भगवान के सिवा कुछ नज़र नहीं आता है
दुनियां को भूल जाता है वह
भगवान ही फिर दिल में बस जाता है
जिंदगी में ऐसा भी मोड़ आता है
जब हो जाता है वैराग्य का ज्ञान
मोह माया छोड़ कर खो जाता है
भगवान के चरणों में लगता है ध्यान
— रवींद्र कुमार शर्मा