गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

टूटे  हुए सपनो  को अपने जोड़ रहे हैं
अन्जान दिशाओं की तरफ दोड़ रहे हैं
उम्मीद का दिया जब बुझता हुआ दिखा
विश्वास का दीपक जला के छोड़ रहे हैं
आँखों से आंसू और हम बहने नही देगें
नयनो का नीर इस लिए निचोड़ रहे हैं
उनको किया है दूर अपने आसपास से
जो आस, मनोबल हमारा तोड़ रहे हैं
किस बात की कलह है क्यों बैर भाव है
बिन बात ही आपस में क्यों सिर फोड़ रहे हैं
कैसे करेगें न्याय की उम्मीद हम वहाँ
सच को जहां पे तोड़़ वो मरोड़़ रहे हैं
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त