क्या और लिखूं अब
कागज कलम कविता और हो तुम
क्या और लिखूं अब जरा बताओ तुम
जब से तुमको देखा हम देखते ही रहे
उन ज़ुल्फों के जुल्मों को सहते ही रहे
उन प्यारी आँखों की काजल कटारी
हम पे तिरछी नजरों से वॉर करते रहे
वॉर करके क्या मुझपे दिल वारे हो तुम
हम तो दिल हारे क्या दिल हारे हो तुम
कागज कलम कविता और हो तुम
क्या और लिखूं अब जरा बताओं तुम
कहती हो ए दिल फेक मिजाज आशिक
मुझको जानतें कब से हो बताओ तारिख
हो अनजाने मैं कैसे तुझपर भरोसा करुं
प्रेम से पहले मुझको मिल गयी थी सिख
सिख गये हों देखना दिल दिमाग को तुम
दिल पर छपी तस्वीर क्या है बताओ तुम
तस्वीर है क्या तुम्हारी अब देखो न तुम
क्या और छाँपु पगली जरा बताओ तुम
हार कर दिल मैं तुझको जीत जाऊँगा
खो कर सब कुछ मैं तुझको ही पाऊँगा
लिखकर कह के हम तुझको ही बता रहे
कह दे”हाँ “अभी मैं तेरा ही हो जाऊँगा
होकर मेरा मुझको ही तो हरा रहे हो तुम
जीत के दिल मेरा दिल हार रहे हो तुम
कह रही वो दिल दिमाग से हारे हो तुम
हार को जीत लिख दू जरा बताओ तुम
— सोमेश देवांगन