बूंदों में दफ़्न सपनें
बूंद-बूंद बरस के ज़हर रस क्यों घोल हे,आई विपदा तो रोकर किसान बोल रह। ओ ज़ालिम बादल, तरसे तो बरसे
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Read Moreहर साल वही नाटक दोहराया जाता है।लाखों रुपये खर्च करके विशाल रावण खड़ा किया जाता है,फिर पटाखों से उसे जला
Read Moreदिखावे का क्यू ,मना रहे महिला दिवस ।सब ने महिलाओं को, बना लिया सहस ।।महफूज नही बहु बेटी, फिर कैसा
Read Moreमैं तिरँगा तीन रंग का चौथे रंग में रंग जाता हूँलेकर लहू लाल रंग लाल की बलि चढ़ाता हूँकोख कलाई
Read Moreमैं तिरँगा तीन रंग का चौथे रंग में रंग जाता हूँलेकर लहू लाल रंग लाल की बलि चढ़ाता हूँकोख कलाई
Read Moreआओ आगे बढ़कर देश वासियों, हम शान से तिरंगा लहराये। धरती से ऊपर आसमान तक, चलो चांद पर हम
Read Moreब्लैक बोर्ड चाक छोटे तकिये सा डस्टर छात्र जीवन होता और जीवन से बेहतर मास्टर का डंडा व मेडम जी
Read Moreकागज कलम कविता और हो तुम क्या और लिखूं अब जरा बताओ तुम जब से तुमको देखा हम देखते ही
Read Moreप्यार में हम ओर छोर से सराबोर हो गए तुम ना मिली हम किसी और के हो गए बदले तुम
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