कथा साहित्यकहानी

मदद

मदद
“”””‘”
अगले सप्ताह रागिनी की शादी है। खरीददारी के लिए मां-बेटी अक्सर बाजार जाती थीं। प्राय: उन्हें लौटते समय शाम, तो कभी-कभी रात भी हो जाया करती थी।
एक दिन उन्होंने शाम को बाजार से लौटते समय देखा कि तेज़ी से आते हुए एक ट्रक ने दूसरी तरफ से आ रहे एक बाइक सवार लड़के को टक्कर मार दी। बाइक सवार लड़का बुरी तरह से घायल हो गया था। उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी। दुर्घटनास्थल पर भीड़ जमा हो गई, परन्तु कोई भी सहायता के लिए सामने नहीं आ रहा था।
रागिनी आगे बढ़ी, तो मां ने हाथ पकड़ लिया। बोलीं- “ये कर रही है तू ? अगले सप्ताह तेरी शादी है। क्यों इस पचड़े में पड़ रही है ? फ़ालतू पुलिस की पूछताछ और भागदौड़। अगर तेरे ससुराल वालों को पता चल गया, तो क्या सोचेंगे ? चलो, जल्दी से निकल लो यहां से।”
“नहीं मां, मैं इसे यूं मरने के लिए नहीं छोड़ सकती। मैं इसे आटो से जिला अस्पताल लेकर जा रही हूं। आप चाहें, तो स्कूटी से मेरे पीछे-पीछे आ सकती हैं या फिर घर लौट सकती हैं।” रागिनी ने दृढ़ता से कहा।
“पागल हो गई है। यहां खड़े सब लोग तुम्हें पागल लग रहे हैं ?” मां उसे किसी भी तरह से रोकना चाहती थी।
“मां, इसकी जगह भैय्या होते, तो भी क्या आप ऐसा कहतीं ?” रागिनी की बात सुनकर मां निरुत्तर हो गईं।
रागिनी ने एक आटो से उस घायल लड़के को जिला अस्पताल पहुंचाया। रास्ते में ही उसने लड़के की मोबाइल से उसके घर वालों को दुर्घटना की सूचना देकर जिला अस्पताल पहुंचने के लिए कह दिया था।
रागिनी की मम्मी भी आटो के पीछे-पीछे जिला अस्पताल पहुंच गई।
अभी वे युवक को अस्पताल के आईसीयू में छोड़कर निकले ही थे कि सामने तीन-चार लोगों के साथ रागिनी के होने वाले सास-ससुर को देख उसकी मम्मी का गला सूखने लगा। “मैंने कहा था न, अब भुगतो।” हल्की-सी आवाज में उसने कहा।
“अरे समधन जी आप लोग यहां ? सब ठीक तो है ?” रागिनी की होने वाली सास ने कहा।
“सब ठीक है समधन जी। पर आप लोग घबराए हुए लग रहे हैं, क्या बात है ? और ये ?” रागिनी की मम्मी ने पूछा।
“ये मेरी बहन और बहनोई जी हैं। पुणे से आज ही आए हैं। इनका बेटा मार्केट गया था। शायद उसका एक्सीडेंट हो गया है। थोड़ी देर पहले ही उसके मोबाइल से किसी लड़की ने फोन कर के यहां पहुंचने के लिए कहा था।” रागिनी के होने वाले ससुर जी कहा।
“जी, वह फोन मैंने ही किया था, अभी जिस लड़के को हम यहां एडमिट करने लाए हैं।” रागिनी ने धीरे से कहा।
गले से लगा लिया रागिनी को उसकी होने वाली सास ने। तभी सामने से डाक्टर साहब आते दिखे। रागिनी को देखकर बोले, “आपका पेशेंट अब खतरे से बाहर है। अच्छा हुआ कि आप उसे समय पर यहां ले आईं। हेलमेट पहनने की वजह से सिर में चोट नहीं लगी। उसे अभी वार्ड में शिफ्ट कर देंगे। थोड़ी देर में वह होश में भी आ जाएगा।”
कहकर डाक्टर साहब चले गए।
सब लोग कृतज्ञ भाव से रागिनी को देख रहे थे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888