ममता
ममता
जिसके खातिर जिया, भरी जवानी में विधवा होने के बाद, जिसे कभी अपने बाप की कमी का अहसास तक होने नहीं दिया, दूसरों के घर झाडू-पोंछा कर अपना पेट काट खिला-पिला कर पढ़ाया-लिखाया; जिससे कि वह आज एक बड़ा अफसर बन कर शहर के आलीशान बंगले में अपनी मॉडर्न वाइफ के साथ सुखपूर्वक रह रहा है।
और वह माँ, आज भी दूसरों के घर झाडू-पोंछा कर अपने अफसर बेटे के सुखद जीवन की दुआ करते हुए अंतिम दिन गिन रही है।
डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़