यादें स्कूल की
ब्लैक बोर्ड चाक छोटे तकिये सा डस्टर
छात्र जीवन होता और जीवन से बेहतर
मास्टर का डंडा व मेडम जी का स्केल
स्कूल लगने से पहले और बाद का खेल
खेल खेल में लड़कियों से वो नोक झोंक
उनके खेल में करते दोस्त हम रोक टोक
टोका टोकी करने में आगे रहता मनोज
अब याद आते है वो स्कूल की बाते रोज
सुबह सवेरे ठंडी का व्यायाम प्राणायाम
प्राथना सभा का सावधान और विश्राम
सावधान विश्राम कानों में गूंजा करते है
कराग्रे वसते लक्ष्मी जुबा पे ही तो रहते है
मन हों शान्त शांतिपाठ ॐ का उच्चारण
प्रणाम करते शीश जुका ये था आचरण
आचरण विचरण कर करता नयी खोज
अब याद आते है वो स्कूल की बाते रोज
वो सायकल का कल फिर नही आना
बेग पीछे दबा गिरते स्कूल का जाना
पानी तेज गिरना मस्ती का धीरे पैडल
भीग घर लौटना और कहना जाना कल
गृहकार्य का कार्य स्कूल में ही निपटाना
कुछ सवालों घेरे में सब से उलझ जाना
हम पतले ऊपर बस्ते का वो भारी बोझ
अब याद आ ते है वो स्कूल की बाते रोज
— सोमेश देवांगन