गीतिका/ग़ज़ल

हुनर

दूध की हिफ़ाज़त में बिल्ली बैठाना, हुनर है,

घर की रखवाली चोरों से कराना, हुनर है।

मेरे हुनर का यूँ ही तो नहीं है, ज़माना दिवाना,

चोरों से मिलकर राज उगलवाना भी हुनर है।

चाबियाँ मिल जाने से तिजोरियाँ नहीं खुलती,

तिजोरियों में चाबी लगा खोल पाना हुनर है।

यूँ ही तो नहीं निपटाये जीते आतंकी मुल्क के,

विरोधियों के साथ सरकार चलाना भी हुनर है।

— अ कीर्ति वर्द्धन