जनम जनम यों साथ हमारा
जनम जनम यों साथ हमारा जैसे बस्ती और बनजारा
हो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारा
तुम जन्मी उस ओर जहाँ पर मधुमय यौवन के सपने थे
मैं जन्मा इस छोर जहाँ पर मेरे सिर्फ गीत अपने थे
तुम महलों में रहने वाली मैं ठहरा बादल आवारा
हो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारा
मैं पतझर का एक पुष्प हूँ तुम शहजादी कली कली की
तुम्ही बताओ कहाँ निभेगी राज अटारी और गली की
तुम नदिया की एक लहर हो मैं हूँ एक वीरान किनारा
हो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारा
तुम जिस पथ पर चलो चाँदनी अपना प्यार लुटा देती है
और अमावस अपना आँचल मेरे लिये सजा देती है
तुम चन्दा की सम्राज्ञी हो मैं हूँ एक भोर का तारा
हो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारा
गीत सज गये द्धार तुम्हारे दर्द हमारे भाग लिख गया
निष्ठुर समय मेरे हिस्से मे पीड़ा वाला राग लिख गया
तुममे केवल ज्योति ज्योति है मुझमे है केवल अँधियारा
हो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारा
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव