कविता

कर गये

ठिठुरती सी जिंदगी, अलाव कर गये|

जख्म नासूर था, वो घाव  भर गये|

संभाला था खुद को ,  पर लगाव कर गये|

बह रहे थे रिश्ते जमाव कर गये|

तूफान को थाम वो,  ठहराव कर गये|

डूबने का डर था नाव कर गये|

बैसाखी को वो तो पाँव कर गये|

धूप तेज बहुत थी छाँव कर गये|

जिंदगी बस यूँ ही थी, उत्पन्न चाव कर गये|

प्रेम का मन में फिर,  रिसाव कर गये|

— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]