मणिपुर की आवाज
गजब का कहानी है,
उस दौर में,
अंधे राजा के दरबार में
आबरू लूटने की कोशिश में
महाभारत तक हो गया,
अच्छा था एक मुरली वाले ने
अस्मत बचा लिया,
मगर आँचल में हाथ लगाने
वाले का हाल सबने देखा,
यह कलयुग बहना
कोई आँसू नहीं गिरायेगा
बस दर्द पर दो ट्वीट करके
दिल में बसे ज़ख़्म पर
नमक और लगायेगा,
यही राजनीति के शब्द हैं
जिंदगी से ज्यादा मौत पसंद इनको
यही तो शब्द कोश में इनके
शोसल मीडिया तो लानत
शब्द से भर जायेगा,
जलते मणिपुर से पूछो
वो कल को ठंडा हो जायेगा,
मगर नारी हृदय से पूछो
जो मर्दो के नीचे सदियों से
कुर्बानियों पर कुर्बानी दे रही है
कभी चौसर में कभी जिंदगी की रण में,
दर्द भरे घाव पूछेगे
क्या वो द्वापर युग वाले अंधा का
राज आज तक चला आया।।
— अभिषेक कुमार शर्मा
राजस्थान बगाल बिहार केरल आदि के बारे में भी यही लागू हैं। फिर अकेले मणिपुर की ही चर्चा क्यों?