प्रच्छन्न-सी उम्मीद
तू ही मेरी इबादत,
तू ही मेरी इनायत,
एक प्रच्छन्न-सी उम्मीद है,
तेरे मिलने की,
न भी मिल सके तो,
न कोई गिला-शिकवा,
न कोई शिकायत.
— लीला तिवानी
तू ही मेरी इबादत,
तू ही मेरी इनायत,
एक प्रच्छन्न-सी उम्मीद है,
तेरे मिलने की,
न भी मिल सके तो,
न कोई गिला-शिकवा,
न कोई शिकायत.
— लीला तिवानी
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बहुत खूब