अंतर्मन की गुत्थी
मेरे प्यारे बच्चों!
जीवन में तुम सब होनहार ऐसे बनो!
अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो !
मेरे प्यारे बच्चों!
तुम सब एक ,एक धागा में से ,धीरे – धीरे धागे खोलो !
उलझे हुए धागे स्वयं से खुल जाएंगे,
स्वयं ऐसा उपाय सोचो!
अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो!
मेरे प्यारे बच्चों!
जीवन में हो कितनी भी ! समस्याएंँ
तुम सबको समाधान मिल ही जाएंगे ,
तुम सब अपना ऐसा बौद्धिक विकास करो !
अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो !
मेरे प्यारे बच्चों!
संकट के दौर में न घबराना ,
तुम सब धैर्य से सोचना , समझना ,
और अंतर्मन की गुत्थी तुम सब ऐसे सुलझाना ,
एक एक परत पर बारीकियों से गौर करना ,
तुम सबको निष्कर्ष मिल जाएगा ,
स्वयं चेतना प्रकाश बनकर,
अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो!
— चेतना प्रकाश चितेरी