कविता

अंतर्मन  की गुत्थी

मेरे प्यारे बच्चों! 

जीवन में तुम सब होनहार ऐसे बनो! 

अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो ! 

मेरे प्यारे बच्चों! 

तुम सब एक ,एक धागा में से  ,धीरे – धीरे धागे खोलो ! 

उलझे हुए धागे  स्वयं से खुल जाएंगे, 

स्वयं ऐसा उपाय सोचो! 

अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा दो! 

मेरे प्यारे बच्चों! 

जीवन में हो कितनी भी ! समस्याएंँ

तुम सबको  समाधान  मिल ही जाएंगे ,

तुम सब अपना ऐसा बौद्धिक विकास करो ! 

अंतर्मन की गुत्थी स्वयं से सुलझा  दो ! 

मेरे प्यारे बच्चों! 

संकट के दौर में न  घबराना , 

तुम सब धैर्य से सोचना , समझना , 

और अंतर्मन की गुत्थी तुम सब ऐसे सुलझाना , 

एक एक परत पर  बारीकियों से गौर करना , 

तुम सबको निष्कर्ष मिल जाएगा ,

स्वयं चेतना प्रकाश बनकर, 

अंतर्मन की गुत्थी  स्वयं से सुलझा दो!

— चेतना प्रकाश  चितेरी 

चेतना सिंह 'चितेरी'

मोबाइल नंबर _ 8005313636 पता_ A—2—130, बद्री हाउसिंग स्कीम न्यू मेंहदौरी कॉलोनी तेलियरगंज, प्रयागराज पिन कोड —211004