धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

बद्रीनाथ धाम

अब एक और अभियान चलाया जाए,

देवभूमि उत्तराखंड को बचाया जाए। 

भूलकर बैर भाव और अपनी दुश्मनी,

अमन के दुश्मनों को मिटाया जाए।

घुसने लगे हैं आततायी, पवित्र बद्री धाम तक,

जताने लगा अपना कब्जा, बद्रीनाथ धाम तक।

सत्ता के लुटेरे भेड़िए, गिद्धों को वहाँ बसा रहे,

बहरूपिए घुसने लगे, केदारनाथ बद्रीधाम तक।

अब एक नया विवाद नज़र आने लगा,

बोद्धों का षड्यंत्र भी नज़र आने लगा।

इस्लाम की साज़िशें तो पहले से ही थी,

नव बोद्धों को बोद्ध मन्दिर नज़र आने लगा।

साज़िशों का दौर है, सँभल कर रहना होगा,

सियासतों का दौर है, सँभल कर रहना होगा।

घूमते हैं भेड़िये शिकार की तलाश भेष बदल,

यह अय्यारों का दौर है, सँभल कर रहना होगा।

— अ. कीर्तिवर्द्धन