गीतिका/ग़ज़ल

सात सुरों से भर दो

बेरंग सी हुई मेरी दर्द-ए जिंदगी में, रंग भर दो तुम।

जो खुशी मिली न मुझको उस खुशी से मुझे भर दो तुम।।

गुस्ताखी हो गई मुझसे, मोहब्बत कर बैठी हूं तुझसे

गुस्ताखी को नाम दे मेरी, मेरे हर एक ग़म, हर दो तुम।।

न चाह कर, भी तेरी ओर क्यों खींचे चले आए हम

उम्मीद भरे मेरे दामन को, अपना नाम दे कर भर दो तुम।।

हम तो कह दिये अपने दिल मे जो ख्वाहिश दबाए थे।

मेरे अरमान से भरी इस ख़्वाहिश, साकार कर दो तुम।।

मेरे घायल, दिल की पायल, की खनक अब न आती 

मेरे दिल की पायल, अपने नाम कि खनक से भर दो तुम।।

चमक संग दमकता था मोहब्बत से कभी मेरा, ये चेहरा

मेरे चेहरे के नूर से, खोई चमक मे वही, चमक भर दो तुम।।

वो भी क्या दिन थे, जब वीणा का नाम सुरमई सा था

खोए वीणा नाम के, हर तारों को सात सुर, भर दो तुम।।

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित