राही
आगे बढ़ते जाना
राह दिखे कांँटे
मत वापस तुम आना।।
हंँस के जीना होगा
जन्म लिए गर तो
विष भी पीना होगा।।
आंँखों में हो सपने
साथ नहीं देते
छल करते हैं अपने।।
कल की छोड़ो बातें
त्याग चलो चिंता
मधुरम होंगी रातें।।
मिलना तुमको माटी
कर्म करो ऐसा
याद रहें परिपाटी।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”