साथ (लघुकथा)
साथ
‘बेटा, पिछले तीन घंटे में तुम हमें तीन शो-रूम घुमा चुके हो। तुम्हारी तीनों शार्टलिस्टेड कारों में एक बात कॉमन है कि कार सेवन सीटर है। क्या जरूरत है बड़ी कार की ? तुम तीनों के लिए तो फाइव सीटर कार ही सफिसिएंट है ?” शर्मा जी ने समझाते हुए कहा।
“नहीं पापा, जब मम्मी और आप आएँगे, तो फाइव सीटर गाड़ी छोटी पड़ेगी। इसलिए बस मेरी शार्टलिस्टेड एक और गाड़ी देख लीजिए। फिर हम इतमीनान से बैठकर डिसकसन कर डिसाइड करेंगे कि कौन सी गाड़ी खरीदें ?” रमेश ने कहा।
“लेकिन बेटा, तुम्हारी मम्मी और मैं तो कभी-कभी ही आएँगे शहर। गाँव में मुझे अपनी नौकरी भी तो करनी है। हमारे कुछ ही दिनों के लिए यूँ… ?” शर्मा जी कुछ और भी बोलना चाहते हैं।
“हम जानते हैं पापा जी, आपको अपनी नौकरी करनी है। चार महीने बाद जब आप रिटायर होंगे, तो उसके बाद हम आपको और मम्मी जी को वहाँ गाँव में रहने थोड़े न देंगे। यदि आप शहर शिफ्ट न हुए, तो हम अपनी-अपनी नौकरी छोड़कर गाँव शिफ्ट हो जाएँगे और वहीं छोटा-मोटा कोई काम धंधा देख कर लेंगे।” इस बार शर्मा जी की बात काटते हुए उनकी बहु नेहा ने कहा।
“लेकिन बेटा…।”
“पापा जी, मुझे सब कुछ मालूम है कि आपने रमेश जी की बेहतर पढ़ाई के लिए उन्हें माँजी के साथ शहर भेज दिया था और खुद गाँव में अकेले रह गए थे। अब और हम यूँ अलग-अलग नहीं रह सकते।” नेहा ने कहा।
शर्मा जी की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने भीगे हुए स्वर में कहा, “ठीक है बेटा, हम आप लोगों के साथ शहर शिफ्ट हो जाएँगे, पर हमारी भी एक शर्त है।”
“शर्त ? कैसी शर्त पापा ?” रमेश और नेहा दोनों ने एक साथ पूछा।
“हमारी शर्त ये है कि हमारे साथ-साथ नेहा के पापा भी रहेंगे। अपनी रिटायरमेंट और समधन जी के स्वर्गवास के बाद हमारे समधी जी अकेले-से हो गए हैं। वे हमारे साथ ही रहेंगे, तो हमें भी कंपनी मिल जाएगी और नेहा बिटिया भी टेंशन फ्री रहेगी।” शर्मा जी ने कहा।
“आपके विचार बहुत अच्छे हैं पापा जी। पर मेरे पापा अपनी बेटी के घर रहना शायद पसंद नहीं करेंगे…” नेहा ने आशंका व्यक्त की।
“उसका टेंशन तुम न लो बेटी। यदि उन्होंने हमें अपनी बेटी दी है, तो हमने भी तो उन्हें अपना बेटा दिया है। और आजकल ये सब बातें अप्रासंगिक हो गई हैं। हम मॉडर्न युग के मम्मी-पापा हैं। समधी जी को आज ही से इंफार्म कर देते हैं, ताकि वे भी मेंटली प्रिपेयर हो सकें।” शर्मा जी ने उत्साहित होकर कहा।
रमेश अपने ससुर जी के नंबर पर डायल करने लगा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़