कहानी

होमवर्क

स्टाफ रूम से डायरेक्टर साहेब के कमरे की और बढ़ते हुए दिनेश सर बस यही सोच रहे थे कि आज़ स्कूल का आखिरी दिन है। सभी टीचर उनके लिए दुआ कर रहे थे लेकिन वो अपने मन को लगभग आश्वस्त कर चुके थे कि उनका स्कूल से निकलना अब तय है। अपना त्यागपत्र भी उन्होंने लिख कर जेब में डाल रखा था। प्रिंसिपल ने उन्हें अपने कमरे में बुलाने के बजाय डायरेक्टर के कमरे में ही जाने का संदेश भेजा था। दिनेश सर खुद से बार बार सवाल कर रहे थे कि क्या उस पुलिस अधिकारी के बेटे को काम नहीं करने पर डांटना उनकी गलती थी ? लेकिन जवाब हां नहीं मिल रहा था। वह पिछले महीने ही इस स्कूल में आए थे। उस बच्चे ने भी इसी साल स्कूल में प्रवेश लिया था। उच्च अधिकारी का बेटा होने के कारण सभी शिक्षक उसे कुछ नहीं बोलते थे। काम अधूरा होने पर दूसरे बच्चों की नोटबुक दिला देते या किसी बच्चे से ही उसका काम करवा देते। दिनेश सर ने इस प्रथा को नहीं निभाया। उनका कहना था कि ऐसा करने से अर्पित कभी भी आत्मनिर्भर नागरिक नहीं बन पाएगा। वह स्कूल की परीक्षाओं में तो उत्तीर्ण हो जायेगा किंतु जीवन की परीक्षा में कभी सफल नहीं हो पाएगा। इसलिए आवश्यक है कि दूसरे विद्यार्थियों की भांति उसे भी एक सामान्य छात्र समझा जाए। लेकिन कोई भी शिक्षक उनकी बात से सहमत नहीं था। प्रिंसिपल सर दो बार दिनेश सर को अपने कार्यालय में बुलाकर अर्पित पर विशेष ध्यान देने के लिए बोल चुके थे। यही कारण था कि वो डायरेक्टर के कमरे में जाने से पहले ही त्यागपत्र लिख चुके थे।

डायरेक्टर सर ने उन्हें अपने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। अर्पित के माता पिता उसके साथ सामने सोफे पर बैठे थे।

“दिनेश सर, अर्पित के पिता चाहते हैं कि आप शाम के समय एक घंटा उसे गणित पढ़ा दिया करें। वह आपके घर भी आ जायेगा या स्कूल में छुट्टी के बाद रुक जायेगा। आपकी जैसी सुविधा हो बता दें।” दिनेश सर हैरान थे। खुद से सवाल जवाब करने के चक्कर में भूल ही गए कि उन्हें जवाब भी देना है। उन्हे चुप देखकर अर्पित उनके पास आया। कान पकड़कर बोला ,”सर, मैं अब रोज़ होमवर्क करूंगा। प्रोमिस। लेकिन मुझे होमवर्क करना नहीं आता है। आप मेरी बात का विश्वास कीजिए।” दिनेश सर के बोलने से पहले ही उसकी मम्मी बोली ,” सर, हम आपके आभारी हैं कि आपने हमारे बेटे को काम नहीं करने के लिए डांटा है। इससे पहले टीचर खुद ही उसका काम कर देते थे। अर्पित चाहता है कि वो सभी प्रश्न करे जो आपके आने से पहले इसने खुद नहीं किए हैं।” दिनेश सर कुछ बोलना चाहते थे तभी उसके पिता उठकर उनके पास आए ,” सर, आप अगर अर्पित को पढ़ाएंगे तो हम जीवन भर आपके अहसानमंद रहेंगे।” कहकर उन्होंने अपने हाथ जोड़ दिए।

दिनेश सर ने हाथ जोड़कर उनसे कहा ,” सर, आपसे मिलकर अधिकारियों के विषय में मेरी धारणा बदल गई है। आप निश्चिंत रहें। अर्पित मेरा विद्यार्थी है। उसे गणित में निपुण बनाना अब मेरा काम है।” डायरेक्टर सर से अनुमति लेकर दिनेश सर बाहर आ गए। अर्पित भी उनके पीछे पीछे चल रहा था। कक्षा में पहुंचे तो बच्चों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। वे समझ चुके थे कि सच्चाई की ही जीत हुई है। एक गलत प्रथा खत्म हो गई है।

— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- [email protected] पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।