मुक्तक
(1)
मिला संग तुम्हारा हम निखरने लगे,
जब से देखा तुम्हे हम संवरने लगे।
जर्रे जर्रे से खुशबू आने लगी,
हवाओं में पराग अब बिखरने लगे।।
(2)
नाम तेरा लेते ही हिचकियाँ बंद हो गई।
याद तुझको करते ही सिसकियां बंद हो गई।।
जबसे मुँह फेरा है तुमने मेरा दिल बैचेन हैं।
लगता है जैसे उसकी धकधकियाँ मंद हो गई।।
(3)
नसीबो से हमको मिले जो हो तुम,
लगता है जनमो से बिछुड़े थे हम।
अब मिल कर फिर ना बिछुड़ जाइए,
प्यार नज़रों से ही जतलाइए।।
— डॉ शिवदत्त शर्मा शिव