दिल का आलम
जब मौसम उदास होता है तुम्हारी कसम जानम उदास होता है,
कोहरे में लिपटी उदास शामें तुम्हारी कसम दिल का आलम उदास होता है।
महकती रात के लम्हे , रतजगों में हर इक लम्हा बिखर गया था,
अंधेरा चाहे हो थोड़ा थोड़ा, तुम्हारी कसम दिलका आलम उदास होता है।
रात भर तारे गिनता रहता चांद,आफताब को भी न चैन था ,
सुबह बे नूर,शाम बे माया तुम्हारी कसम दिलका आलम उदास होता है।
है सिलसिला अजल से यही , शमा की लो में जुगनू जल जाते,
उनकी याद के जुगनू रातभर चमकते,तुम्हारी कसम दिलका आलम उदास होता है।
जो लफ्ज़ मुझमें तडप रहे है जर्द पत्ते सर्द मौसम जिसके गवाह रहें,
हर लफ्जों की मुहताज सांसे ,तुम्हारी कसम दिलका आलम उदास होता है।
चमन चमन में बरपा , कली तितली गुल और भवरों की खामोशी,
चमन की पत्ती पत्ती को है पता,तुम्हारी कसम दिलका आलम उदास होता है।
~ बिजल जगड