गीतिका/ग़ज़ल

आबरू क्यों बाजार हुई

भारत की बेटियों की आबरू क्यों बाजार हुई।

दरिंदों के हाथों क्यों है आज बेटियां लाचार हुई।

चीरहरण फिर से हुआ है आज कलयुग में यहाॅं,

नग्न कर के घुमाते रहे नारी इज़्ज़त तार तार हुई।

क्या प्रशासन बना दुशासन मौन यह देखता रहा,

किस बात के पीछे गौन यह लाचार सरकार हुई।

बेशर्म कि हदें लांघ कर किया जुल्म बेख़ौफ़ सा,

इन के लिए  सहायता भी  क्यों कर दरकार हुई।

मौन देखते रहे जिन के घर भी थी प्यारी बेटियां,

इंसानियत भी क्यों नहीं उन की भी शर्मसार हुई।

कैसा हैवान कैसा शैतान जो देखता नहीं आबरू,

आज तक क्यों नही़ उन्हें फांसी या कारागार हुई।

जो हो रहा आज धरती पर सब तमाशा पाप का,

देख धरती माॅं आज सृष्टि को  करने है संहार‌ हुई।

नहीं सुरक्षित आज है नारी दानवों के परिवेश में,

भेड़ियों के भेष में आज क्यों मानता खुंखार‌ हुई।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995