आबरू क्यों बाजार हुई
भारत की बेटियों की आबरू क्यों बाजार हुई।
दरिंदों के हाथों क्यों है आज बेटियां लाचार हुई।
चीरहरण फिर से हुआ है आज कलयुग में यहाॅं,
नग्न कर के घुमाते रहे नारी इज़्ज़त तार तार हुई।
क्या प्रशासन बना दुशासन मौन यह देखता रहा,
किस बात के पीछे गौन यह लाचार सरकार हुई।
बेशर्म कि हदें लांघ कर किया जुल्म बेख़ौफ़ सा,
इन के लिए सहायता भी क्यों कर दरकार हुई।
मौन देखते रहे जिन के घर भी थी प्यारी बेटियां,
इंसानियत भी क्यों नहीं उन की भी शर्मसार हुई।
कैसा हैवान कैसा शैतान जो देखता नहीं आबरू,
आज तक क्यों नही़ उन्हें फांसी या कारागार हुई।
जो हो रहा आज धरती पर सब तमाशा पाप का,
देख धरती माॅं आज सृष्टि को करने है संहार हुई।
नहीं सुरक्षित आज है नारी दानवों के परिवेश में,
भेड़ियों के भेष में आज क्यों मानता खुंखार हुई।
— शिव सन्याल