नूंह का सच
भारत के हरियाणा प्रदेश के एक क्षेत्र मेवात में एक धार्मिक यात्रा सम्पन्न हुआ थी। बृज कोस की यह यात्रा विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में विगत कुछ वर्षों से मेवात के शिव मंदिरों को जोड़ने के उद्देश्य से सम्पन्न की जा रही थी। हम घटना के दिन पर जाएं उससे पहले हमें मेवात को समझना होगा। हरियाणा व राजस्थान के कुछ क्षेत्र को मिलाकर मेवात का यह ग्रामीण क्षेत्र बना है। दिल्ली से सटा होकर भी ग्रामीण परिवेश और बड़ी संख्या में पलायन किए हुए अनाधिकृत लोगों की बसाहट इस क्षेत्र में है। जो पिछले 20 25 सालों में यहीं के होकर रह गए। झुग्गी झोपड़ी से आरंभ होकर अब कई पक्के मकान भी बना चुके है। कुछ दशकों पहले मेवात आज जैसा नही था, यह परिणाम यहां मजहबी जनसंख्या के असंतुलन से उत्पन्न हुई। कुछ दशकों में मेवात में मुस्लिम जनसंख्या बेतरतीब बढ़ी, जिसके कारण यहां राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बड़े रूप में बदले, राजनीतिक पार्टियों ने इस बदले समीकरण को भांप कर तुष्टिकरण की राजनीति आरंभ कर दी, तो कई राजनीतिक पदों पर असामाजिक तत्वों को प्रश्रय देने वाले बैठ चुके थे। पिछले कुछ वर्षों से यहां हिन्दू समाज बड़ी संख्या में पलायन कर रहा है, यह पलायन लगातार बढ़ रहा है, इसका कारण व्यापार, रोजगार व तरह तरह के प्रतिबंध, आये दिन होने वाले मजहबी झगड़े, जिससे तंग आकर सामान्य परिवार जो इनसे मुकाबला करने की स्थिति में नही थे पलायन कर रहे थे। यह समस्या सामाजिक संगठनों द्वारा बड़े स्तर पर भी रखी गई। इसलिए सभी धार्मिक कार्यक्रम अब अच्छे स्तर पर होने लगे थे, ताकि पलायन करने वाला हिन्दू समाज अपने आपको सुरक्षित महसूस करके यहीं रुके। विगत कुछ वर्षों से मेवात में होने वाली इस यात्रा से सकारात्मक परिणाम मिलने लगे थे। ग्रामीण की खाप पंचायतों ने भी पलायन की इस समस्या के लिए चिंतन करना आरंभ कर दिया था।
अब विषय आता है इस यात्रा में बजरंग दल के मोनू मानेसर द्वारा आने का आहवान करने का। मेवात में गौ तस्करी करने वालों का गिरोह बड़े स्तर पर काम करता है, आये दिन गौरक्षकों से इनकी झड़प होती रहती है, इसमें असलाह व हथियारों का भी खूब प्रयोग होता है, तस्करों द्वारा कई बार गोली मारने के कारण कई गौरक्षक घायल हुए, मोनू यादव(मानेसर) पर भी 2 बार प्राण घातक हमला हो चुका है, जिसमें उसे भी गोली लगी थी मरते मरते बचा। परन्तु ये गौरक्षक प्राण पण से गौ माता की रक्षा करने में जुटे रहते है। अब हुआ यह कि राजस्थान सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में मोनू मानेसर व कुछ लोगों को 2 गौ तस्करों की कथित रूप में हुए एक्सीडेंट में मृत्यु के प्रकरण में दोषी बनाया, उनकी गिरफ्तारी के लिए राजस्थान सरकार ने वारंट निकाल दिए थे। पुलिस कई दिनों से उनकी तलाश कर रही थी, ग्रामीण खाप पंचायतों ने राजस्थान पुलिस को गांव में घुसने से रोक दिया था, क्योंकि वे गौरक्षकों के समर्थन में खड़े थे। अब मोनू यादव की एक वीडियो वायरल होती है, जिसमें वह इस यात्रा में आने का आह्वान करता है, पूरे मेवात में इस वीडियो से हलचल होती है, क्योंकि यह गौतस्करों के समर्थक और तस्करी में सहयोग करने वाले लोग थे। शरारती तत्व जवाब में भी अनेक विडीओ बनाते है, कि हमारी पूरी तैयारी है तुम आओ तो, ऐसे ही एक वीडियो में गैस की टँकीयो से रोड़ जाम किया गया दिखाया है। पुलिस इंटेलिजेंस इन विडीओ को अनदेखा कर देती है। या कहें पुलिस नही जानती थी कि मेवात में व्हाट्सएप समूहों में क्या तैयार चल रही है। सायबर सेल, खुफिया तंत्र पूरी तरह फैल हुआ, 100 से अधिक उपद्रवी पहाड़ी से उस मंदिर पर फायर करते रहे, गाड़ियों यात्रा पर पेट्रोल बम फेंके गए, छतों पर पत्थरों का अंबार लगा था। आखिर यह तैयार बताती है कि यह योजना बद्ध तरीके से किया गया दंगा था। पुलिस कई घण्टो बाद भी हिंसा ग्रस्त क्षेत्र में नही जा सकी क्योंकि सारे रास्तों से पथराव किया जा रहा था।
जैसे ही यात्रा क्षेत्र में प्रवेश करती है, गाड़ियों पर पथराव शुरू होता है, हल्ला मचाने और पत्थर मारने वाली कबीलाई भीड़ पर पुलिस सख्त होती है तो और मुस्लिम दंगाई आकर भयंकर पथराव और गाड़ियों को आग लगाना शुरू कर देते है, जो सामने आता उसे मारते है कई विडीओ में एक एक युवा को कई दंगाई मारते दिखाई दे रहे है। ऐसे ही बसों पर जब पथराव शुरू हुआ तो बस में बैठे महिला, बच्चों बूढों को उतारकर मन्दिर में सुरक्षित किया गया और कुछ युवा इनकी सुरक्षा में पुलिस के साथ बाहर रहे, जहां लगातार फायरिंग होती रही। इस क्षेत्र के अलावा भी पूरे मेवात के कई क्षेत्रों में एक साथ मुस्लिम भीड़ ने अस्पताल दुकानों शोरूम पर हमले किए समान लुटे। एक मोटरसाइकल शोरूम की 100 से ज्यादा गाड़ियां लूटी गई, पुलिस के सायबर सेल थाने पर हमला हुआ, वहां खड़ी गाड़ियों को आग लगाई गई। पुलिस और यात्रा में फंसे लोगों पर लगातार कई घंटों तक हमले होते रहे। मन्दिर से बाहर रहकर सुरक्षा में लगे युवाओं में इनमें से ही एक पानीपत का अभिषेख चौहान था जो बाहर था और दंगाई भीड़ के हाथ लग गया, पहले उसे सामूहिक रूप से मारा, फिर उसका गला काटकर उसकी हत्या कर दी गई। ऐसे ही गुरु ग्राम के प्रदीप शर्मा और शक्ति सैनी को भी दंगाइयों ने बहुत मारा। बाद में इलाज के दौरान प्रदीप व शक्ति दोनों की मृत्यु हो गई। ये सभी अपने माता बहनों बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए लड़ रहे थे, हरियाणा, मेवात, दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम आदि क्षेत्रों में इस घटना से आक्रोशित लोगों ने प्रतिक्रिया में कई ढाबों को आग लगा दी जो मेवात के थे। बजरंग दल की इस यात्रा पर हुए हमले से पूरे देश में विरोध के स्वर उठाये जा रहे है। मेवात में क्या बाहर से आये हुए घुसपैठिये भी है जो इस हिंसा के पीछे है, क्योंकि एक बड़ी संख्या रोहिंग्या मुस्लिमों की है जो मेवात में अवैध तरीके से रह रही है।
प्रश्न यह है कि क्या बिना पुलिस सुरक्षा के हिन्दू समाज कोई धार्मिक यात्रा नही निकाल सकता ? यदि यहां पुलिस और अर्धसैनिक बल को एयरलिफ्ट नही किया जाता तो क्या स्थिति होती ? यदि मन्दिर में कैद महिलाओं बच्चो वर्द्धों जो 2500 से अधिक थे उन्हें कुछ हो जाता तो क्या भारत के मस्तक पर कलंक ना लग जाता ? क्योंकि जिस प्रकार दंगाई आग लगा रहे थे, गोलियां चला रहे थे, इतना बड़ा नरंसहार हो जाता जिसे हरियाणा सरकार कभी धो नही पाती। पुलिस सेना अर्धसैनिक बलों व स्वयं हिन्दू समाज को भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। क्या हम पुलिस के भरोसे यात्रा निकाल रहे है ? भारत एक सशक्त देश है इस तरह की कबीलाई संस्कृति को पनपने का अवसर नही दिया जाना चाहिए।
— मंगलेश सोनी