दिल न दुखाइये
तलवार से भी तेज,
जीभ कटार की धार,
अस्त्र जैसी चुभन से,
दिल न दुखाइये।।
वाणी रसाल, मधुर,
वीणा-सी स्वर झंकार,
मनमंदिर में दीप,
भक्ति का जलाइये।।
हर्षित हो बागबान,
यथोचित हो समान,
कर्म हो धर्मानुरागी,
प्रेम छितराइये।।
नवांकुर संगोपन,
कर्तव्य कर्म प्रधान,
उत्सव, मेले, त्यौहार,
संस्कृति सहेजिये।।