कविता

आओ बिटिया, घर आँगन महकाने!

आओ बिटिया, घर आँगन महकाने!

तेरी यादें, तेरी बातें, हौले से दस्तक देती,

दिल के दरवाजे पर, रुमझुम करती, 

प्यारी-प्यारी, खट्टी-मीठी, हंसती-रुलाती, 

बिटिया, हर पल यादें, इंतजार ले आती।।

घर का कोना-कोना, मन मंदिर में,

चुपके से आ जाती हो तुम, मुस्कुराती,

महकाती घर-आँगन, सहेजती रिश्तें,

गठरी में, बांधकर लाती हो मीठी यादें।।

आती रहो बिटिया कि आने से रौनक हैं,

पायली की रुंमक झूमक, कंगना की खनक हैं,

साथ साथ है हम सब, भावना होती बलवती,

सबको साथ ले, बिखरे मोतियों की माला पिरोती।।

बूढ़े मां पिताजी की आँखें चमक जायेगी,

बिटिया के लिए, खुशियों की बिछावन होगी,

खिलखिलाती आओगी जब पीहर तुम,

खनकती हँसी, खामोशी को विदा कर जाएगी।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८