कविता

जनता और नेता

जनता,

ताश के पत्ते में पड़ा

गुलाम है।

जिसका मतदान के अतिरिक्त

कोई कार्य नहीं हैं,

जब तक कि

ताश के

सारे पत्ते मौज़ूद हों।

नेता,

जुआरी के तरह

दिखने वाला

खिलाड़ी है,

जो चुनाव में

गुलाम को बादशाह बनाकर

खेलता है

और जीत जाता है।

महेन्द्र कुमार मद्धेशिया

छात्र; दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर पता; ग्राम - दुल्हा सुमाली, टोला - सलहन्तपुर, पोस्ट - ककरहवॉ बाजार, सिद्धार्थनगर- 272206 (उत्तर प्रदेश) सम्पर्क ; 7266021791