कविता

शिक्षक दिवस

आदर्श की मिसाल, बाल जीवन संवारता है शिक्षक,

 सदाबहार फूल-सा खिल कर महकता और महकाता है शिक्षक!!

 कच्ची ईटा से ताज, डूबती कश्ती से जहाज बनाता है,

 इन किताबों से आरती,नमाज जो कल हो उसे आज बनाता है!!

 गुरु ज्ञान की दीप की ज्योति से, मन को आलोकित कर देता है,

 विद्या का धन देकर तन-मन को, सुख से भर देता है!!

कभी लाड़-प्यार, कभी मिलती डंडो की मार है

पिता समान शिक्षक, इसके डाँट-मार से होती हमारी नैया पार है!!

‘अ’ से लेकर ‘ज्ञ’ तक, ज्ञानी हमें वही बनाता है

प्रणाम ऐसे गुरुवर को, हर मोड़ पर स्वभिमानी वही बनाता है!!

हर घर मे आपका सम्मान, सबसे ऊँची बनाया है

ये इंसा तो क्या भला, ब्रह्मा,विष्णु, महेश आपके आगे शीश झुकाया है!!

— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड