ग़ज़ल
दिल तो आखिर दिल है जी
किस कदर बहलाया होगा
कहीं होगी यारों की महफ़िल
दर्द ए ग़म सहलाया होगा
आँखों में अपने ख्वाब संभाले
हर दिन नया बनाया होगा
जिंदगी दोराहे पर आकर ठहरी
अक्सर उसे भरमाया होगा
लूट-पाट में शामिल थे कितने
नाम किसका आया होगा
कौन सा चेहरा आएगा अव्वल
रगड़-रगड़ चमकाया होगा
फर्क करने को कनक,पीतल में
आग पर उसे तपाया होगा
— सपना चन्द्रा