फाड़ दो
फाड़ दो सब चिट्ठियाँ, कॉपी, किताबें,
दर्ज ना हो देश का अभिमान जिसमें।
काट दो इतिहास से वे पेज सारे,
दर्ज ना हो वीरता – बलिदान जिसमें।
खून के बदले मिला हमको तिरंगा,
मत समझना मुफ़्त की सौगात है ये-
तोड़ दो गद्दार के हर बाजुओं को,
दर्ज ना हो हिंद – हिंदुस्तान जिसमें।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध