मेरी माटी मेरा देश।
जन जन ने संकल्प लिया,
निखिल विश्व में यह संदेश।
मेरी माटी मेरा देश।।
यह माटी पुण्य पुनीता है।
यह माटी भगवद्गीता है।।
कंकर कंकर शंकर है,
यह जनती माता सीता है।।
यह माटी है बहुत विशेष।
मेरी माटी मेरा देश।।
इस माटी को कान्हा खाते।
माटी खा लीला दिखलाते।।
अपने मुख में माटी भरकर,
सकल जगत ब्रह्मांड दिखाते।।
माटी कहती जय योगेश।
मेंरी माटी मेरा देश।।
यह माटी वीर जवानों की।
यह माटी खेत किसानों की।।
इसमें उर्वर शब्द छिपे हैं,
यह माटी कवि मस्तानों की।।
नव निर्माण का है आदेश।
मेरी माटी मेरा देश।।
— सौष्ठव त्रिपाठी