गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ढोंगी और दग़ाबाज़ों की छद्म कहानी पर
छलियों साधो मौन सगों की बे ईमानी पर

वक्त पड़े जो सच्चाई का साथ नही देंगे
वक्त लिखेगा कायर उन सबकी पेशानी पर

सिसकी ख़ूब कलम, कविताएं हिड़की दे रोईं
सत्तासीनों की आँखों के मरते पानी पर

तुमको भारत की लुटती अस्मत से क्या तुम तो
ताली पीटो घड़ियालों की राम कहानी पर

नौ दिन देवी कह पूजा करने वालों के क्यूँ
टूटे हाथ नही जिस्मों की खींचातानी पर

जो ज़ालिम से ड़रकर जुल्मों से लड़ना छोड़े
लानत भेजो ऐसी नामाक़ूल जवानी पर

अंतस की आँखें भी पथराने को हैं बंसल
कितना रोऊँ इंसां में बढ़ती शैतानी पर

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.