गीत
शीश पर आशीष की दस्तार होगी देख लेना
हर ख़ुशी आख़िर हमारे द्वार होगी देख लेना।
अंततः मन वेदना की थाह लेंगे साध्य मेरे
प्रेम की हर प्रार्थना स्वीकार होगी देख लेना।।
अर्थ पाएंगे किसी दिन व्यर्थ से आलाप सारे
आत्मिक सुख में ढ़लेंगे दर्द दुख संताप सारे।
है मुझे विश्वास होगी साधना सम्पूर्ण मेरी
हाँ फ़लित होंगे समर्पण यज्ञ पूजा जाप सारे।।
ये भटकती नाव भव से पार होगी देख लेना…
प्रेम की हर प्रार्थना स्वीकार होगी देख लेना…
चित्त की अवचेतना से दृष्टि का विस्तार होगा
वेदनाओं के स्वरों में गीत का गुंजार होगा।
कस चुकेगा पूर्णतः अपनी कसौटी पर समय तो
हर अधूरा स्वप्न नयनो से निकल साकार होगा।।
सत्य जीतेगा कपट की हार होगी देख लेना…
प्रेम की हर प्रार्थना स्वीकार होगी देख लेना…
चित्त में विश्वास मन में चेतना पैदा करो तो
चाह की वेदी बनाकर कर्म को समिधा करो तो।
नेकियों का पुण्य फ़ल तुमको स्वतः ही ढूँढ लेगा
फ़र्ज़ के इस यज्ञ में तुम स्वार्थ को स्वाहा करो तो।।
जन्म की गति कर्म के अनुसार होगी देख लेना…
प्रेम की हर प्रार्थना स्वीकार होगी देख लेना…
— सतीश बंसल