वो हैं ना
वो हैं ना, बस तुम्हें ही देखती होंगी
तुम सुन न पाओ पर, तुम्हें ये कहती होंगी..
रखना ये विश्वास कि तुम्हारे हर पल साथ रहूँगी
तुम्हें देने मैं हिम्मत, तुम में शक्ति स्वरुप मैं रहूँगी
जब भी जीवन पथ पर, असहाय महसूस करोगी
अपनी माँ का ये हाथ, तुम अपने सर पर पाओगी
कहाँ गई हूँ प्राण मेरे तो बस तुम्हारे दिल में बसे हैं
मेरे सारे अरमान अब देखो तुम्हारी आँखों में सजे हैं
— आशीष शर्मा “अमृत”