चयन
मुख्यमंत्री के चयन के लिए पार्टी के प्रभारी नेताजी ने तीनों प्रमुख दावेदारों की मीटिंग ली। उन्होंने सबसे एक ही सवाल किया, “हम आपको ही मुख्यमंत्री क्यों बनाएँ ?”
पहले दावेदार रमेश जी बोले, “महोदय, मैं लगातार सातवीं बार भारी मतों से विधायक चुनकर आया हूँ। कई बार केबिनेट मंत्री रह चुका हूँ। तीन बार उत्कृष्ट विधायक चुना जा चुका हूँ। मैं मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए अपनी पार्टी और राज्य को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता हूँ।”
दूसरे दावेदार दिनेश जी बोले, “महोदय मैं लगातार दूसरी बार विधायक चुना गया हूँ। पिछले दस सालों से पूरे राज्य में सबसे अधिक धनराशि पार्टी फंड में मैं ही देता रहा हूँ। आगे भी देता रहूँगा। यदि मैं मुख्यमंत्री चुना गया तो पार्टी को कभी भी आर्थिक रूप से कमजोर होने नहीं दूँगा।”
तीसरे दावेदार मुरलीधर जी बोले, “महोदय मैं लगातार चौथी बार चुनकर आया हूँ। दो बार केबिनेट मंत्री भी रह चुका हूँ। जैसा कि आप सबको पता है कि इस बार हमारी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में है, बहुमत के लिए तीन विधायकों की जरूरत है। आज की तिथि में चार निर्दलीय सहित प्रमुख विपक्षी पार्टी के दो विधायक मेरे समर्थन में खड़े हैं, जिन्हें आप कहें तो मैं आधे घंटे के भीतर ही आपके समक्ष उपस्थित करा दूँगा। यदि मुझे मुख्यमंत्री चुना जाता है तो निःसंदेह पार्टी को बहुमत सिद्ध करने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।”
प्रभारी नेताजी की अनुशंसानुसार अगले दिन एक शानदार शपथग्रहण समारोह में मुरलीधर जी ने मुख्यमंत्री, दिनेश जी ने उप मुख्यमंत्री और रमेश जी ने विधानसभा अध्यक्ष के पद की शपथ ली।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा