कविता

अघोरी हूं

हार है न जीत है
मौत है न कोई ख़ौफ़ है
अघोरी हूं…..

ह्रास है न प्रहास है
ख़ास  है न कोई आम है
अघोरी हूं……

काम है न आराम है
मान है न कोई अपमान है
अघोरी हूं……

जीवन है न मृत्यु है
पाप है न कोई पुण्य है
अघोरी हूं……

आदि है न अंत है
अंत है न कोई आदि है
अघोरी हूं……

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233