एलियंस का सही खुलासा चंद्रमा पर विक्रम लेंडर देगा
वर्ष 2004 में पेंटागन में 144 यूएफओ एवं पिछले वर्ष ब्रिटेन में 250 से ज्यादा एलियंस देखने के मामले सामने आए| अमेरिकी संसद में यूएफओ को लेकर पहली बार खुली सुनवाई रखी गई इस सुनवाई में अमेरिका का रक्षा मुख्यालय पेंटागन अपनी क्लासिफाइड फाइलों को खोलकर ये बताएगा कि आखिर एलियंस के बारे में अभी तक उसके पास क्या जानकारी है | दुनिया भर में यूएफओ और एलियंस को लेकर चुप्पी साध रखी है | खुली सुनवाई का परिणाम कुछ दिनों में स्पष्ट होकर सामने आएगा |एलियंस की सही और तथ्यात्मक तलाश और नए ग्रहों पर जीवन की पूर्ण संभावना खुले तौर पर स्पष्ट होकर चंद्रयान-3 के जरिये स्पष्ट हो सकेगी।चांद पर एलियन की बस्ती जैसी हवा विक्रम लेंडर अपनी खोज से एलियन की स्थिति भी स्पष्ट कर देगा। एक जानकारी के मुताबिक विदेश का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें UFO जैसी चीज पानी के अंदर गायब हो गई। ऐसे में शोधकर्ता भी यही मान रहे कि एलियंस का बेस पानी के नीचे है। उन्हें लग रहा है कि महासागरों की अनंत गहराइयों में उनके बेस हो सकते हैं, जिस वजह से वो हमारी पकड़ में नहीं आ रहे। वैसे भी इंसान सिर्फ 5 प्रतिशत महासागर के बारे में जानते है।अभी कुछ दिनों पूर्व नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में “हम्म “की आवाज सुनी।इससे उन्होंने अंदाजा लगाया कि ये एलियन की ही आवाज हो सकती है।जो हमसे संपर्क करना चाहते हैं।आवाज पर अब शोध हो रहा है।नार्वे स्थित मैसेजिंग एक्सट्राटेरेस्ट्रायल इंटेलिजेंस के वैज्ञानिकों ने एलियन को गत वर्ष भेजा संदेश जिसमे गणना ,अंकगणित और ज्यामिति से जुड़ी सूचनाओं के साथ घडी देखने की तकनीक के अलावा वहां पर पानी या जीवन होने का पता लगाना भी प्रमुख है | उम्मीद लगभग एक माह में जवाब मिल जाने की उम्मीद कर रहे थे वैज्ञानिक | एलियन के आवाज के कोड को पहचानना पृथ्वीवासियों के लिए बहुत मुश्किल कार्य है।और इसे समझने में और हमारी भाषा उन्हें समझने में वर्षो लग जाएंगे।कई वैज्ञानिक इन्हें तारे जी जे 273 से जो की सूर्य से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित रहने का दावा करते है |एक जानकारी के मुताबिक अमेरिका की धरती पर भारतीय यंत्र बना दिखाई दिया।जिसकी लंबाई किलोमीटर में है।देश विदेश में कई आश्चर्यजनक निर्मित आकृतियां,मंदिर आदि बने हुए देखे गए।जोकि इंसानों द्धारा निर्मित नहीं हो सकते।ये बाहरी दुनिया एलियंस द्धारा निर्मित हो सकते है।शायद इन्हे निर्मित करने का उद्देश्य धरती पर पहचान स्वरूप चिन्ह अंकित करने का रहा हो | यूएफओ ,एलियंस प्रकाश के माध्यम से आना जाना करते।उनकी रफ्तार इतनी ज्यादा होती की वो आज तक धरती वासियों की पकड़ से दूर रहे है।इसलिए इनके द्धारा बनाई जाने वाली चीजों को हम आश्चर्य के रूप में देखते आए है।किंतु इन पर शोध करने की गति भी काफी धीमी है । देखा जाए तो यूएफओ और एलियंस के वीडियो व् उसपे आधरित काल्पनिक फिल्मे कई वर्षो से देखते आरहे है |अमेरिका में एरिया 51 है जो प्रतिबंधित क्षेत्र है |वहां पर भी एलियंस ,यूएफओ के होने रहस्य बरक़रार है |समुद्र में रहस्यमयी क्षेत्र बरमुंडा त्रिकोण में एलियन का अड्डा होने की बातें फैलाई जाती रही है |यह भी प्रश्न सोचने को मजबूर कर देता है की अमेरिका s व् अन्य देशों के पास कई तरह की मिसाइल जैसे हवा से हवा में मार करने वाली है व् अन्य सक्षम ,सशक्त टेक्नॉलॉजी मौजूद होने के बावजूद यूएफओ और एलियन को आज तक क्यों नहीं पकड़ पाई |भारत में इनके देखे जाने की घटनाएं ज्यादा सुर्ख़ियों में नहीं आई है |पृथ्वी पर इंसानों की तरह अन्य ग्रहों पर रहवासी हो सकते है ,उनका रहन सहन ,क्या खाते होगें,उनके परिवार कैसे बनता होगा ? ये सब बातें खोजने के लिए शायद करोडो वर्ष लगेंगे उस दिशा में सभी देशों की चाल चींटी की चाल साबित हो रही है |एलियंस की सही और तथ्यात्मक तलाश और नए ग्रहों पर जीवन की पूर्ण संभावनाएं खुले तौर पर स्पष्ट हो ताकि शिक्षा के पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाकर ज्ञानार्जन में वृद्धि हो सके| ये सारे राज जो अब तक स्पष्ट नहीं हो सकें थे सिर्फ काल्पनिक दुनिया से देखे जा रहे थे कुछ देश एलियन के देखे जाने का दावा करते आरहे थे|
अब चंद्रयान-3 के जरिये स्पष्ट हो सकेगी।चांद पर एलियन की बस्ती जैसी हवा विक्रम लेंडर अपनी खोज से एलियन की स्थिति भी स्पष्ट कर देगा।
— संजय वर्मा “दृष्टि”